सरकार ने सार्वजनिक परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए लाया सख्त कानून
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सार्वजनिक परीक्षाओं में किसी भी तरह के अनुचित साधनों के इस्तेमाल को रोकने के लिए “सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024” पेश किया है। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा प्रस्तुत यह विधेयक यूपीएससी, एसएससी, नीट, जेईई और सीयूईटी जैसी भर्ती परीक्षाओं और प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल पर लगाम लगाने के लिए लाया गया है।
छात्रों पर असर नहीं यह विधेयक उन संगठित गिरोहों और संस्थानों को रोकने का लक्ष्य रखता है जो आर्थिक लाभ के लिए अनुचित साधनों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, यह बिल उम्मीदवारों को अपने दायरे से बाहर रखता है। उम्मीदवार परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था की मौजूदा अनुचित साधन नीति के प्रावधानों के तहत शासित होंगे।
क्या है सजा का प्रावधान? नकल पर लगाम लगाने के लिए विधेयक में न्यूनतम तीन से पांच साल कारावास की सजा का प्रस्ताव है। संगठित धोखाधड़ी में शामिल लोगों को पांच से दस साल की कैद और कम से कम एक करोड़ रुपये जुर्माना भरना होगा।
क्यों पेश हुआ ये विधेयक? नकल रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान करने का निर्णय तब लिया गया जब कई मामलों में प्रश्नपत्र लीक और संगठित नकल से बड़ी संख्या में छात्रों के भविष्य पर बुरा असर पड़ा। कई अन्य मामलों में, संगठित गिरोह और माफिया तत्व नकल गिरोहों का इस्तेमाल करते हैं, प्रतिरूपण विधियों का सहारा लेते हैं और पेपर लीक करवाते हैं। यह विधेयक मुख्य रूप से ऐसे नापाक तत्वों को रोकने का लक्ष्य रखता है।
विधेयक के उद्देश्य यह विधेयक सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता बढ़ाने का प्रयास करता है। यह आगे सुनिश्चित करेगा कि युवाओं के वास्तविक प्रयासों को पुरस्कृत किया जाए और उनका भविष्य सुरक्षित हो।