
election- मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि इस साल गर्मियों में असामान्य रूप से भीषण गर्मी पड़ सकती है। कई राज्यों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया जा चुका है। अप्रैल महीने में ही दो बार गर्म हवाओं (लू) का असर दिखा है, जो आमतौर पर मई में देखा जाता है। ओडिशा के बारीपदा में अब तक सर्वाधिक 45.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है।
गर्मी की इस लहर ने मतदाताओं की उत्साह पर भी असर डाला है। उम्मीद से कम लोग मतदान केंद्रों पर पहुंचे। आंकड़ों के मुताबिक, पहले चरण में मतदाताओं की संख्या 5.4% कम रही। बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की कई सीटों पर 2019 की तुलना में 6-8% कम मतदान हुआ।
इस बीच, देश के कई बड़े शहरों में भी भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। लखनऊ में तापमान 41 डिग्री, पटना में 43 डिग्री और रायपुर में 42 डिग्री दर्ज किया गया। राजस्थान के कोटा में भी तापमान 43 डिग्री तक पहुंच गया। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 3 दिनों तक यह गर्मी और लू का दौर जारी रहेगा।
election- भीषण गर्मी और लू ने मतदाताओं की उपस्थिति को प्रभावित किया है। गर्मी के इस कहर से बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी होगी। इससे चुनावी परिणामों पर भी असर पड़ सकता है। अतः मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान देना होगा और सर्दी से बचाव के उपाय करने होंगे
2024 में, IMD ने पहले ही कुछ राज्यों में लू की चेतावनी जारी कर दी है।
election- चुनाव परिणामों पर प्रभाव:
गर्मी का चुनाव परिणामों पर कई तरह से प्रभाव पड़ सकता है:
- मतदान कम हो सकता है: तेज गर्मी के कारण लोग मतदान केंद्रों तक जाने से हिचकिचा सकते हैं, खासकर बुजुर्ग और बीमार लोग।
- मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं: गर्मी से थकान और चिड़चिड़ापन हो सकता है, जिससे मतदाताओं के लिए शांत और तर्कसंगत निर्णय लेना मुश्किल हो सकता है।
- कार्यकर्ताओं को प्रभावित कर सकता है: गर्मी से चुनाव प्रचार अभियान चलाना भी मुश्किल हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बाहरी गतिविधियां मुश्किल होती हैं।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गर्मी का चुनाव परिणामों पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि चुनाव की तारीख, समय और मतदाताओं की भावना।
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