पाकिस्तान में गुरुवार को होने वाले आम चुनाव से पहले पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इमरान खान अलग-अलग मामलों में 34 साल की सजा काट रहे हैं और उन पर करीब 150 मामले दर्ज हैं। मई 2023 में उन पर दर्ज एक गंभीर मामले में उन्हें फांसी की सजा भी हो सकती है।
यहां प्रमुख 10 बिंदु हैं:
- फांसी की सजा का खतरा: मई 2023 में अल कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार होने के बाद इमरान खान के समर्थकों ने सरकारी इमारतों में तोड़फोड़ और आगजनी की थी। उनके खिलाफ मई 9 की हिंसा मामले में आरोप लगाए गए हैं, जिसमें सजा-ए-मौत का प्रावधान है।
- पाकिस्तानी सेना पर हमला: मई 9 की हिंसा के दौरान पीटीआई कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान सेना के ठिकानों पर हमला किया था। पाकिस्तान आर्मी ऐक्ट की धारा 59 के तहत पाकिस्तान सेना या सुरक्षा बलों पर हमला करने वालों को मौत की सजा का प्रावधान है।
- सैन्य अदालत में चल रहा मामला: इस मामले की सुनवाई सैन्य अदालत में चल रही है, लेकिन फिलहाल पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने पर रोक लगा दी है।
- इमरान खान को उकसाने वाला माना गया: मई 9 की हिंसा के लिए इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया गया है। हालांकि, वह आरोपों को खारिज करते हैं और इसे उनकी पार्टी को बदनाम करने की साजिश बताते हैं।
- लंदन में साजिश का दावा: इमरान खान का कहना है कि यह साजिश नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के बीच लंदन में हुई थी। उनका आरोप है कि सेना ने नवाज शरीफ को सत्ता में लाने के लिए सौदा किया है।
- चुनाव चिन्ह छीना गया: पीटीआई का चुनाव चिन्ह (क्रिकेट का बल्ला) इसलिए छीन लिया गया क्योंकि पार्टी के अंदरूनी चुनाव समय पर नहीं कराए गए थे। सरकार ने पीटीआई का मुख्यालय भी अपने कब्जे में ले लिया है।
- इमरान खान को वोट देने की अयोग्यता: इमरान खान खुद को वोट देने के अयोग्य घोषित कर दिया गया है। हालांकि, उनका दावा है कि उनकी लोकप्रियता बरकरार है और उनकी पार्टी सत्ता में आएगी।
- खुला मैदान: इमरान खान जेल में हैं और उनकी पार्टी एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ सकती, इसलिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के लिए सबसे ज्यादा सीटें जीतने और इसके संस्थापक नवाज शरीफ को चौथी बार प्रधानमंत्री बनाने का रास्ता साफ है।
- पीटीआई समर्थक निर्णायक कारक हो सकते हैं: पीटीआई से जुड़े उम्मीदवार और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन चुनाव प्रचार कमजोर रहने और मतदाताओं में उदासीनता होने के कारण गुरुवार को मतदान कम होने की आशंका है।