– केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकप्रिय नेता कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की है। यह घोषणा कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती से एक दिन पहले की गई है।
कर्पूरी ठाकुर बिहार के सबसे लोकप्रिय और सफल नेताओं में से एक माने जाते हैं। उन्होंने बिहार के गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। वह भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गए थे।
कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल (1970-71 और 1977-79) पूरे किए। उनके पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने बिहार में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिनमें से एक था गरीबों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करना।
कर्पूरी ठाकुर की भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान बिहार के लोगों के लिए गर्व की बात है।
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था। वह नाई जाति से थे। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। जेल से छूटने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया।
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु 17 फरवरी, 1988 को पटना में हुई थी।
कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था। वह नाई जाति से थे। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। जेल से छूटने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया।
कर्पूरी ठाकुर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की। वे 1952 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1967 में वे बिहार के शिक्षा मंत्री बने। 1970 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनके मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार में कई महत्वपूर्ण सुधार हुए, जिनमें से एक था गरीबों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करना। 1977 में वे फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनके दूसरे कार्यकाल में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिनमें से एक था बिहार में खाद्यान्न का राशन प्रणाली लागू करना।
कर्पूरी ठाकुर बिहार के बहुत लोकप्रिय और ईमानदार नेता थे। वे गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने और उन्हें कभी भी चुनाव हारना नहीं पड़ा।
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु 17 फरवरी, 1988 को पटना में हुई थी। उन्हें बिहार के इतिहास के सबसे लोकप्रिय और सफल नेताओं में से एक माना जाता है।
कर्पूरी ठाकुर की उपलब्धियां
- बिहार के गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए समर्पित जीवन
- बिहार में मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरा करना
- बिहार में गरीबों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करना
- बिहार में खाद्यान्न का राशन प्रणाली लागू करना
कर्पूरी ठाकुर का भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का महत्व
कर्पूरी ठाकुर का भारत रत्न से सम्मानित किए जाना एक ऐतिहासिक घटना है। यह सम्मान उन्हें उनके सामाजिक न्याय और समानता के लिए समर्पित जीवन के लिए दिया गया है। यह सम्मान बिहार के लोगों के लिए भी गर्व की बात है।