छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी की इजाजत के बिना मोबाइल कॉल रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसके लिए दो साल की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
यह फैसला एक पति-पत्नी विवाद के मामले में सुनाया गया, जिसमें पति ने पत्नी से हुई बातचीत को उसकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड कर लिया था और उसे अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश कर दिया था। हाईकोर्ट ने इस रिकॉर्डिंग को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आईटी एक्ट-2000 की धारा 72 के तहत किसी की इजाजत के बिना मोबाइल या फोन रिकॉर्ड करना गैरकानूनी है। इस धारा के तहत दो साल की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
यह फैसला उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अक्सर मोबाइल कॉल रिकॉर्ड करते हैं। यह फैसला यह भी स्पष्ट करता है कि किसी की इजाजत के बिना रिकॉर्डिंग को अदालत में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यह फैसला निम्नलिखित बातों को स्पष्ट करता है:
- किसी की इजाजत के बिना मोबाइल कॉल रिकॉर्ड करना गैरकानूनी है।
- यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
- इसके लिए दो साल की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- किसी की इजाजत के बिना रिकॉर्डिंग को अदालत में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो अक्सर मोबाइल कॉल रिकॉर्ड करते हैं। यदि आप किसी की इजाजत के बिना मोबाइल कॉल रिकॉर्ड करते हैं तो आपको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।