अमेरिका के अलबामा राज्य में पहली बार किसी अपराधी को नाइट्रोजन गैस देकर फांसी दी गई है, जिसके बाद से काफी विवाद खड़ा हो गया है। आमतौर पर हवा में 78% पाया जाने वाला नाइट्रोजन गैस सामान्य रूप से हानिरहित होता है, लेकिन जब इसमें ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, तो यह जानलेवा हो सकता है।
नाइट्रोजन गैस से फांसी देने की प्रक्रिया में व्यक्ति को एक सीलबंद कक्ष में रखा जाता है। फिर कक्ष में नाइट्रोजन गैस भर दी जाती है, जिससे धीरे-धीरे ऑक्सीजन कम हो जाती है। जैसे ही व्यक्ति नाइट्रोजन गैस में सांस लेता है, ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है, जिससे वह बेहोश हो जाता है और अंततः उसकी मृत्यु हो जाती है।
हालांकि, इस तरीके को लेकर कई आशंकाएं जताई जा रही हैं:
- अमानवीय: आलोचकों का कहना है कि नाइट्रोजन गैस से फांसी देना मानव परीक्षण के समान है, क्योंकि इसका पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह नैतिक रूप से गलत है।
- दर्दनाक मौत: चिंता जताई जा रही है कि फांसी देने वाला मास्क पूरी तरह सीलबंद न होने पर उसमें ऑक्सीजन जा सकती है। इससे लंबे समय तक तड़पना पड़ सकता है या व्यक्ति कोमा में जा सकता है।
- घुटन का खतरा: ऑक्सीजन की कमी से व्यक्ति मास्क के अंदर उल्टी कर सकता है, जिससे घुटन का खतरा बढ़ जाता है और फांसी देने की प्रक्रिया जटिल हो सकती है।
- कार्यवाहियों की सुरक्षा: नाइट्रोजन गैस गंधहीन और रंगहीन होती है। अगर मास्क हट जाए, तो फांसी देने वाले लोगों के लिए भी खतरा हो सकता है, क्योंकि उन्हें इसका असर पता नहीं चल पाएगा।
- विश्वसनीयता की कमी: नाइट्रोजन गैस को फांसी देने के तरीके के रूप में बहुत कम आजमाया गया है। इसलिए, इस प्रक्रिया के दौरान जटिलताएं या गलतियां होने की आशंका है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस तरीके पर चिंता जताई है और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय यातना और अमानवीय व्यवहार के प्रतिबंधों का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने फांसी से पहले बेहोश करने वाली दवा देने की कमी की भी आलोचना की, जो बड़े जानवरों को इच्छामृत्यु देने के लिए इस्तेमाल की जाती है। फांसी से जुड़े दस्तावेजों को काफी हद तक गुप्त रखा गया है, जिससे सुरक्षा उपायों और परीक्षण प्रक्रियाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपी हुई है।
अलबामा के अलावा ओकलाहोमा और मिसिसिपी भी ऐसे तीन अमेरिकी राज्य हैं जिन्होंने फांसी देने के वैकल्पिक तरीके के रूप में नाइट्रोजन गैस के इस्तेमाल को मंजूरी दी है।