लोहड़ी का पर्व आ रहा है, जो खुशियों की लौ जलाकर हमें सर्दी की स्याह को भगा देता है। धरती गरमाती है, आग के चारों ओर लोग नाचते-गाते हैं और ढोल की थाप में पूरी दुनिया रंग जाती है। आइए इस ब्लॉग में, 2024 की लोहड़ी के बारे में विस्तार से जानें – इसकी तिथि, इतिहास, महत्व और परंपरागत ढंग से इसे मनाने के तरीके के बारे में।

तिथिः इस साल, लोहड़ी 14 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पर्व का इंतजार किसानों को साल भर रहता है।
इतिहासः लोहड़ी का इतिहास सदियों पुराना है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह पर्व दुलहें (लोधी वंश के संस्थापक) के नाम से जुड़ा है, जो अग्नि देवता के पुत्र थे। वहीं, दूसरी मान्यताएं इसकी उत्पति सूर्य की उत्तरायण गति से जोड़ती हैं। इसे बुराइयों पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।

महत्वः लोहड़ी का मुख्य महत्व फसल काटने के आनंद और अगले साल अच्छी फसल की कामना से जुड़ा है। किसान अग्नि को धन्यवाद देते हैं और सर्दी के जाने और गर्मी के आने का जश्न मनाते हैं। साथ ही, यह सामाजिक सद्भावना का भी प्रतीक है, जहां लोग मिलकर नाचते-गाते हंसी-खुशी से लोहड़ी मनाते हैं।

परंपरागत मनाने का तरीकाः लोहड़ी की आगः शाम के समय खुले मैदान में लकड़ियाँ और गोबर के उपलों से आग जलाई जाती है। लोग अग्नि को गन्ना, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली आदि अर्पित करते हैं।
ढोल की थाप और लोकगीतः आग के आस-पास ढोल की थाप पर ढोला और महीया जैसे पारंपरिक गीत गाए जाते हैं। युवा नाचते-गाते और आग के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।
दुल्हा और दुल्हन का नाटकः पंजाब के कुछ क्षेत्रों में लोहड़ी के मौके पर दुल्हा और दुल्हन का नाटक खेला जाता है, जो खुशियों और समृद्धि का प्रतीक है।
गुड़ की रौनकः गुड़ से बने पकवान, जैसे रेवड़ी, खीर और गुड़ की गजक का प्रसाद बांटा जाता है, जो मिठास और खुशियों का प्रतीक है।
लोहड़ी का पर्व न सिर्फ फसल की खुशियां मनाता है, बल्कि हमें एकता, प्रेम और सामाजिक सद्भावना का संदेश भी देता है। आइए, इस साल भी धूमधाम से लोहड़ी मनाएं और खुशियों की अग्नि को और धधकाएं!

आपको लोहड़ी की शुभकामनाएं!