Bihu: नई दिल्ली: असम की धरती पर बड़े उत्साह संग आया नया साल, क्योंकि साल 2024 में माघ बिहू का आगाज होने वाला है। यह त्योहार, जिसे असमिया समाज में अद्वितीयता के रूप में जाना जाता है, बुआत मोहत्सव के रूप में मनाया जाएगा और धरती पर बरसेगा रंग, धमाल, और आशीर्वाद का मेला।

माघ बिहू : तिथि और इतिहास की झलक:
माघ बिहू, जिसे भोगली बिहू के नाम से भी जाना जाता है, तीन बिहू त्योहारों में से पहला है। यह असमिया कैलेंडर के माघ माह के पहले दिन मनाया जाता है, जो इस साल 15 जनवरी को पड़ता है। यह पर्व न सिर्फ फसल कटाई की खुशी मनाता है, बल्कि सूर्यदेव के उत्तरायण की ओर बढ़ने का भी जश्न मनाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, माघ बिहू एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
माघ बिहू की परंपराएं:
माघ बिहू सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि असमिया संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह कृषि पर आधारित समाज के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह पर्व समुदाय को एकजुट करता है, फसल की सफलता के लिए कृतज्ञता व्यक्त करता है, और आने वाले साल के लिए अच्छे फसल और खुशहाली का आशीर्वाद लेता है।
माघ बिहू का उत्साहपूर्ण माहौल:
माघ बिहू का जश्न कई दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत ‘ुरुका’ से होती है, जिस दिन लोग अपने खेतों को साफ करते हैं और मेज़ बनाते हैं। इसके बाद आता है ‘भोज’, जो मुख्य उत्सव का दिन है। इस दिन घरों को सजाया जाता है, पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, और लोग ‘धुलीया’ नामक खुशी के गीत गाते और ‘बिहू नाच’ करते हैं। मेढ़ के ऊपर बने ‘मेजी’ नामक ढांचे पर उछल-कूद कर युवा अपनी शक्ति और जोश का प्रदर्शन करते हैं।
माघ बिहू की परंपराएं:
माघ बिहू की कई अनोखी परंपराएं हैं। ‘लिटुरी’, एक बांस का खंभा, जिसे फसल और उर्वरता का प्रतीक माना
को मेज़ के केंद्र में स्थापित किया जाता है। पशुओं को स्नान कराया जाता है और उन्हें पत्तियों से सजाया जाता है। पूजा-पाठ के बाद, भोग अर्पित किया जाता है और लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
तो दोस्तों, इस साल माघ बिहू के रंग में रंग जाइए! अपने असमिया मित्रों के साथ जश्न मनाएं, उनके खास व्यंजनों का लुत्फ उठाएं, और परंपराओं का अनुभव करें। आइए, मिलकर इस खूबसूरत त्योहार के उत्साह को फैलाएं और नए साल की शुरुआत खुशियों के साथ करें!
आप सभी को माघ बिहू की हार्दिक शुभकामनाएं!