न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी न्यूरालिंक ने इतिहास रच दिया है! एलोन मस्क द्वारा 2016 में सह-स्थापित इस कंपनी ने मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधा संचार चैनल स्थापित करने का दावा किया है। न्यूरालिंक ने दुनिया को बता दिया है कि उन्होंने एक मरीज में सफलतापूर्वक पहला ब्रेन इंप्लांट लगाया है!
प्रारंभिक परिणाम उम्मीदवादी:
एलोन मस्क ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “कल हमने एक इंसान के मस्तिष्क में न्यूरालिंक इंप्लांट लगाया और मरीज अच्छी तरह से रिकवर कर रहा है। प्रारंभिक परिणाम बहुत ही उत्साहजनक हैं और न्यूरॉन गतिविधि का पता लगाने में सफलता मिली है।”
मानव क्षमताओं को बढ़ाना लक्ष्य:
न्यूरालिंक का उद्देश्य मानव क्षमताओं को बढ़ाना, एएलएस या पार्किंसंस जैसे न्यूरोलॉजिकल विकारों का इलाज करना और भविष्य में मनुष्यों और कृत्रिम बुद्धि के बीच एक सहजीवी संबंध स्थापित करना है।
कैसे काम करता है ब्रेन इंप्लांट:
मस्तिष्क में लगाया गया यह उपकरण “लिंक” कहलाता है, जो लगभग पाँच सिक्कों के आकार का है और इसे एक शल्यक्रिया के माध्यम से मस्तिष्क के अंदर रखा जाता है।
हजारों करोड़ का निवेश:
पिछले साल कैलिफोर्निया स्थित न्यूरालिंक ने अमेरिकी नियामकों से मानव परीक्षणों के लिए मंजूरी प्राप्त की थी। अब तक इस कंपनी में 400 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं और इसने कम से कम 363 मिलियन डॉलर का निवेश जुटाया है।
मस्तिष्क-मशीन तकनीक में होड़:
एलोन मस्क इस क्षेत्र में अकेले नहीं हैं, आधिकारिक तौर पर इसे ब्रेन-मशीन या ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस रिसर्च के रूप में जाना जाता है। न्यूरालिंक के अलावा भी कई कंपनियां इस तकनीक को विकसित करने में लगी हुई हैं।
न्यूरालिंक से अलग टेक्नोलॉजी:
हालांकि न्यूरालिंक का इंप्लांट शल्यक्रिया के माध्यम से मस्तिष्क में लगाया जाता है, लेकिन एक दूसरी कंपनी सिंक्रोन ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके लिए खोपड़ी को काटने की जरूरत नहीं है। ऑस्ट्रेलिया स्थित सिंक्रोन ने जुलाई 2022 में अपने पहले उपकरण को एक अमेरिकी मरीज में लगाया था।
न्यूरालिंक की सफलता भविष्य की ओर इशारा:
न्यूरालिंक का यह सफल इंप्लांट इस क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। इससे भविष्य में मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच संचार, मानव क्षमताओं के विस्तार और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज की नई उम्मीदें जगी हैं।