भारत में साइबर अपराध बढ़ रहे हैं, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर आवाज क्लोनिंग के जरिए ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, अकेले दिल्ली में ही 2022 में साइबर अपराध के 685 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में ये संख्या 345 और 2020 में 166 थी।
पिछले साल दिसंबर में दिल्ली के यमुना विहार के एक बुजुर्ग लक्ष्मी चंद चावला को AI का इस्तेमाल कर क्लोन की गई बच्चे की आवाज वाले व्हाट्सएप रैंसम डिमांड के जरिए ₹50,000 की ठगी का शिकार बनाया गया था। अपराधियों ने उन्हें उनके चचेरे भाई के बेटे के अपहरण का झूठा दावा किया और मदद की गुहार लगाते हुए क्लोन की गई आवाज का इस्तेमाल किया। घबराए चावला ने तुरंत ठगों की मांग के अनुसार ₹50,000 का भुगतान कर दिया।
हैरानी की बात है कि सिर्फ 3-4 सेकंड की ऑडियो रिकॉर्डिंग से ही कोई भी आवाज क्लोन की जा सकती है। सुरक्षा सॉफ्टवेयर कंपनी मैकेफी के अनुसार, 85% तक सटीक आवाज क्लोन बनाने के लिए सिर्फ बुनियादी अनुभव और विशेषज्ञता की जरूरत होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य में और भी सटीक क्लोनिंग संभव है।
अब धोखेबाज़ इस तकनीक का इस्तेमाल पारिवारिक आपात स्थिति का नाटक कर परिवार के सदस्यों की नकली आवाजों से लोगों को ठगने के लिए कर रहे हैं।
कैसे बचें AI वॉयस क्लोनिंग स्कैम से?
- हमेशा अपने स्मार्टफोन पर कॉलर आईडी चालू रखें। इससे आपको कॉल करने वाले और उनकी लोकेशन की जानकारी मिलेगी। साथ ही, यह स्पैम कॉल या टेलीमार्केटर कॉल होने पर भी अलर्ट करेगा।
- संवेदनशील जानकारी जैसे अपना फोन नंबर और ईमेल आईडी किसी से शेयर न करें।
- अपने स्मार्टफोन में कॉल ब्लॉकिंग फीचर का इस्तेमाल करें।
अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सावधान रहें और इस तरह के किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर कार्रवाई करने से पहले सत्यता की जांच करें।