सोमवार को, उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की। नार्वेकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना घोषित कर दिया था।
उद्धव गुट को यह फैसला पसंद नहीं आया और वो स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं। अभी इंतजार है कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेता है।
स्पीकर ने शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की ठाकरे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया था।
10 जनवरी को अयोग्यता याचिकाओं पर अपने फैसले में स्पीकर ने प्रतिद्वंद्वी खेमे के किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री की कुर्सी और मजबूत कर दी है। 18 महीने पहले उन्होंने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया था और अब इस फैसले से उनकी ताकत बढ़ गई है। इससे सत्ताधारी गठबंधन (बीजेपी, एनसीपी-अजित पवार गुट) को भी फायदा होगा, जो आने वाले लोकसभा चुनाव (गर्मियों में) और राज्य विधानसभा चुनाव (2024 के दूसरे भाग में) के लिए तैयारी कर रहे हैं।

- स्पीकर राहुल नार्वेकर का कहना है कि कोई भी पार्टी का नेतृत्व पार्टी के विरोध या अनुशासनहीनता को रोकने के लिए 10th अनुसूची (दल बदल कानून) का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
- उन्होंने ये भी कहा कि जून 2022 में जब शिवसेना टूटी थी, तब शिंदे गुट को कुल 54 शिवसेना विधायकों में से 37 का समर्थन था।
- 2023 की शुरुआत में चुनाव आयोग ने ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष और तीर’ का चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को दे दिया था।