प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वार्षिक कार्यक्रम “परीक्षा पे चर्चा” के दौरान छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन यह ज़रूरी है कि प्रतिस्पर्धा स्वस्थ हो.
उन्होंने कहा, “कभी-कभी बच्चे खुद पर इतना दबाव ले लेते हैं कि उन्हें लगता है कि वे उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं.” मोदी ने अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चे की रिपोर्ट कार्ड को अपना विज़िटिंग कार्ड न समझें और विद्यार्थियों को भी इस बात को समझाएं कि उन्हें दूसरों से नहीं बल्कि खुद से ही मुकाबला करना है.
उन्होंने समझाया कि छात्रों पर तनाव तीन तरह का होता है – साथियों का दबाव, माता-पिता का दबाव और स्वयं का दबाव. उन्होंने कहा, “परीक्षा की तैयारी के दौरान छोटे-छोटे लक्ष्य रखें और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाएं, इस तरह से आप परीक्षा से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे.”
छात्रों को भारत के भविष्य के निर्माता बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम उनके लिए भी एक परीक्षा की तरह है. परीक्षा से पहले छात्रों के साथ जुड़ने के इस सातवें कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि छात्र आज पहले से कहीं ज्यादा नवाचारी बन गए हैं.
शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित परीक्षा पे चर्चा पिछले छह वर्षों से छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को साथ ला रहा है. कोरोना महामारी के कारण चौथा संस्करण ऑनलाइन आयोजित किया गया था, जबकि पांचवां और छठा संस्करण टाउन हॉल प्रारूप में लौट आए. पिछले साल के संस्करण में कुल 31.24 लाख छात्र, 5.60 लाख शिक्षक और 1.95 लाख माता-पिता ने भाग लिया था.
इस साल MyGov पोर्टल पर अनुमानित 2.26 करोड़ रजिस्ट्रेशन हुए हैं, जो छात्रों के बीच व्यापक उत्साह को दर्शाता है. इस साल का कार्यक्रम भारत मंडपम में टाउन हॉल प्रारूप में आयोजित किया गया है. इसमें प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से दो छात्र और एक शिक्षक के साथ-साथ कला उत्सव के विजेता भी आमंत्रित हैं.