Aditya-L1: भारत ने चांद पर उतरने के बाद एक और ऐतिहासिक क्षण बनाया है। इसरो के आदित्य एल-1 ने लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंचकर एक महत्वपूर्ण कीर्तिमान बनाया है, जिससे यह अंतिम कक्षा में स्थापित हो गया है। यहां, आदित्य दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट पर इसरो की सफलता: भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया
प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो की इस सफलता पर खुशी जताई है और ट्वीट किया है – ‘भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है। यह असाधारण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वह इसमें देश के साथ हैं।
एल-1 प्वाइंट: सूर्य-पृथ्वी प्रणाली का एक अद्वितीय स्थान

एल-1 प्वाइंट क्या है?
एल-1 प्वाइंट वह क्षेत्र है जिसे हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, और यह सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच पांच स्थानों में से एक है। इस स्थान पर दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता होती है, जिससे एक तरफ़ से दूसरे तरफ़ गति होती है। ये स्थान सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थिर होते हैं, जिससे यहां कोई वस्तु गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है। एल-1 प्वाइंट के मौजूदा पांच स्थानों में एक होने की कुशलता इसे अद्वितीय बनाती है।
“विश्व द्वारा उत्सुकता से देखा जा रहा है इसरो का यह अभियान”

इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया भर से उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसमें सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराएंगे, जिससे सभी सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का विस्तृत अध्ययन होगा। अंतरिक्ष यान में एक कोरोनोग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने का अनुमति देगा और नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) मिशन के डाटा को पूरक डाटा मुहैया कराएगा। आदित्य एल-1 इसमें स्थित एकमात्र वेधशाला है, जिससे यह अभियान विशेष है।
“काम की शुरुआत: आदित्य एल-1 का अंतरिक्ष यात्रा”

शुक्रवार को आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में सफर करते हुए 126 दिन पूरे हो गए। इस यात्रा की शुरुआत 18 सितंबर से हुई थी, और 16 दिनों में आदित्य ने वैज्ञानिक डाटा एकत्र किया और सूर्य की इमेजिंग शुरू की। इससे अब तक, वैज्ञानिकों को एल-1 से सौर ज्वालाओं के हाई-एनर्जी एक्स-रे और फुल सोलर डिस्क इमेज मिल चुके हैं। पीएपीए और एएसपीईएक्स के सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर सहित चार उपकरण वर्तमान में सक्रिय हैं और उन्हें सफलता से चला रहा हैं। हेलो आर्बिट में पहुंचने के बाद, सूईट पेलोड सबसे पहले सक्रिय होगा।
“सात पेलोडों का उपयोग: आदित्य मिशन के वैज्ञानिक उपकरण”

आदित्य पर सात वैज्ञानिक पेलोडों का तैनात किया गया है। इनमें शामिल हैं विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (सूइट), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्सस), और हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस), जो सीधे तौर पर सूर्य को ट्रैक करें। विद्वेष्ठ उपकरणों में तीन इन-सीटू (मौके पर) मापने वाले उपकरण शामिल हैं, जिनमें आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), और एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (एटीएचआरडीएम) शामिल हैं।

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