astrology शास्त्र हमें ग्रहों, नक्षत्रों आदि के बारे में जानकारी देता है।
astrology को जानने वाले ऋषि-मुनियों ने ब्रह्मांड की ऊर्जा को समझने के लिए, इसे चार चरणों वाले सत्ताईस नक्षत्रों, बारह राशियों और नौ ग्रहों में बाँटा है।

ज्योतिष शास्त्र हमें ग्रहों, नक्षत्रों आदि के बारे में जानकारी देता है। यह हमें उनके आकार, गति, भ्रमण काल, ग्रहण और स्थिति के बारे में बताता है। यह हमें यह भी बताता है कि इन खगोलीय घटनाओं का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, और हमारे साथ क्या अच्छा या बुरा हो सकता है।
आकाश में स्थित ग्रह और नक्षत्र हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं, और हमारे भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पता लगाया जा सकता है, और यह भी मालूम हो जाता है कि व्यक्ति के जीवन में कौन-कौन से घातक अवरोध उसकी राह रोकने वाले हैं, अथवा प्रारब्ध के किस दुर्योग को उसे किस समय सहने के लिए विवश होना पड़ेगा। ऐसे समय में ज्योतिष शास्त्र ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा जातक को सही दिशा प्राप्त होती है।

लोग astrology को धर्म की तरह देखते हैं, लेकिन असल में यह एक विज्ञान है। ज्योतिष के जानकार और आध्यात्मिक ज्ञान के विशेषज्ञ दोनों मानते हैं कि इंसान के अच्छे या बुरे हालात उसके कर्मों, विचारों, भावनाओं और इरादों पर निर्भर करते हैं। इसलिए, किसी व्यक्ति के जन्म का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह वही समय है जो उसके पूरे जीवन को प्रभावित करता है।

हर पल ब्रह्मांडीय ऊर्जा की खास धाराएँ किसी जगह पर एक खास मात्रा में मिलती हैं। जब कोई इंसान पैदा होता है, तो ठीक उसी समय यह तय हो जाता है कि ऊर्जा की ये धाराएँ आगे चलकर कैसे मिलेंगी और उसके जीवन पर क्या असर डालेंगी।
इंसान के जन्म का समय हमेशा उसके साथ रहता है। जन्म के समय का बहुत महत्व होता है क्योंकि यह बताता है कि वह किन कर्मों, प्रारब्धों और संस्कारों के साथ, ऊर्जा के प्रवाहों के मिलन बिंदु के साथ पैदा हुआ है। जन्म का क्षण इस विशाल ब्रह्मांड में व्यक्ति को और उसके जीवन को एक खास जगह देता है। यह समय चक्र में एक ऐसी जगह होती है जो हमेशा अटल रहती है, और इनके मिलन के क्रम के अनुसार ही सृष्टि, व्यक्ति, जीव-जंतु, पेड़-पौधे, चीजें, घटनाएं आदि जन्म लेते हैं, और इसी क्रम में वे सब नष्ट भी होते हैं।

प्राचीन काल के ऋषि-मुनियों ने ब्रह्मांडीय ऊर्जा को समझने के लिए इसे 27 नक्षत्रों, 12 राशियों और 9 ग्रहों में बांटा। हर नक्षत्र के चार चरण होते हैं। उन्होंने यह भी देखा कि इन ग्रहों और नक्षत्रों की चाल से ऊर्जा में बदलाव होता है। इस बदलाव को समझने के लिए उन्होंने विंशोत्तरी, अष्टोत्तरी और योगिनी दशाओं का क्रम बनाया। इन दशाओं के अंदर आने वाली ‘अंतर’ और ‘प्रत्यंतर’ दशाओं से ऊर्जा प्रवाह में होने वाले बदलावों को और गहराई से समझा जाता है।

यदि astrology विज्ञान को सही से समझा जाए, तो एक व्यक्ति अपनी क्षमताओं को पहचान सकता है और अपने सच्चे मार्ग की खोज कर सकता है। ऐसी स्थिति में, वह समय के चक्र में अपनी स्थिति को प्रभावित करने वाली ऊर्जा के प्रवाह को पहचानकर ऐसे अचूक उपाय अपना सकता है जिससे समय के अनुसार बदलने वाले ऊर्जा प्रवाह के क्रम से उसे कोई हानि न हो। इस समय चक्र का ज्ञान केवल एक योग्य ज्योतिषी ही दे सकता है। ज्योतिष के ज्ञान का यही विशेष महत्व है, और इस ज्ञान की महत्वपूर्ण कड़ी एक योग्य ज्योतिषी ही है। एक योग्य ज्योतिषी महादशाओं, अंतर्दशाओं और प्रत्यंतर दशाओं में ग्रहों के मंत्र, दान की विधियों, रत्नों का उपयोग आदि बताकर आपको इनके दुष्प्रभावों से बचा सकता है और जीवन में सफलता प्राप्त करने का सही मार्ग दिखा सकता है।
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