दुनिया भर में पर्यावरण की चिंता तेज़ी से बढ़ रही है. हर किसी को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी और पर्यावरण की रक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाने होंगे. आने वाले बजट में भी सरकार को पर्यावरण की रक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए, खासकर भवन निर्माण क्षेत्र में.
आपको शायद पता हो, दुनिया भर में होने वाले कार्बन उत्सर्जन का लगभग 40% इमारतों के निर्माण और इस्तेमाल से होता है! तो ये ज़रूरी है कि हम ऐसे तरीके अपनाएं जिससे इमारतें कम प्रदूषण फैलाएं.
इसलिए, बजट से ये उम्मीदें की जा रही हैं:
- हरियाली निर्माण सामग्री: सरकार ऐसे नियम बनाए और टैक्स में छूट दे जिससे “ग्रीन बिल्डिंग मैटेरियल्स” का इस्तेमाल ज़्यादा हो. ये वो चीज़ें हैं जिनसे इमारतें बनाने में कम पानी, बिजली और सीमेंट का इस्तेमाल होता है, जिससे प्रदूषण कम होता है.
- नए शोध और तकनीक का इस्तेमाल: सरकार को रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में ज़्यादा पैसा लगाना चाहिए. इससे भविष्य में और भी बेहतर ग्रीन बिल्डिंग मैटेरियल्स बनाए जा सकेंगे.
- प्रोत्साहन और मदद: सरकार बिल्डरों और आम लोगों को ग्रीन इमारतें बनाने के लिए लोन पर सब्सिडी दे सकती है. इससे ज़्यादा लोग पर्यावरण-अनुकूल तरीके अपनाएंगे.
ये कुछ आसान तरीके हैं जिनसे सरकार बजट में पर्यावरण की रक्षा का मज़बूत संदेश दे सकती है. इमारतों को पर्यावरण-अनुकूल बनाने से न सिर्फ प्रदूषण कम होगा, बल्कि पानी और बिजली की भी बचत होगी.
हरियाली इमारतें, हरियाली भविष्य: बजट में पर्यावरण को बढ़ावा!
जैसा कि हम जानते हैं, दुनियाभर में पर्यावरण के प्रति चिंता बढ़ती जा रही है. कार्बन उत्सर्जन कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए कई कोशिशें हो रही हैं. भवन निर्माण क्षेत्र इस मामले में खास तौर पर अहम है क्योंकि ये लगभग 40% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है!
इसलिए, आने वाले बजट में सरकार को भवन निर्माण को “हरियाली” बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. ये कैसे हो सकता है?
- टैक्स में छूट: सरकार ग्रीन बिल्डिंग मैटेरियल्स बनाने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट या सब्सिडी दे सकती है. इससे ज़्यादा कंपनियां ऐसे पर्यावरण-अनुकूल चीज़ें बनाने के लिए आगे आएंगी. उदाहरण के लिए, कम सीमेंट या रीसायकल की हुई चीज़ों से बने निर्माण सामग्री पर कम GST लगाया जा सकता है.
- लोन पर सब्सिडी: जो लोग ग्रीन इमारतें बनाना चाहते हैं उनके लिए बैंक लोन पर सरकार सब्सिडी दे सकती है. इससे लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा कि वो पर्यावरण को ध्यान में रखकर इमारतें बनाएं.
- अनुदान और पुरस्कार: सरकार ग्रीन बिल्डिंग बनाने वाले बिल्डरों और आर्किटेक्ट्स को अनुदान या पुरस्कार दे सकती है. इससे ज़्यादा लोग इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित होंगे.
ये कुछ आसान तरीके हैं जिनसे सरकार बजट में पर्यावरण की रक्षा का मज़बूत संदेश दे सकती है. ज़रूरी है कि हम सब मिलकर सरकार से ये मांग करें और भविष्य के लिए एक सफाई और पर्यावरण-अनुकूल भवन निर्माण क्षेत्र बनाएं!
बजट में रिसर्च और डेवलपमेंट से बनाएं बेहतर कल!
दुनियाभर में पर्यावरण के प्रति चिंता बढ़ रही है. तो भवन निर्माण क्षेत्र में भी पर्यावरण को ध्यान में रखने की ज़रूरत है. लेकिन ये कैसे होगा? सरकार को रिसर्च और डेवलपमेंट यानी “आर एंड डी” में ज़्यादा पैसा लगाना चाहिए. इससे ऐसी नई तकनीकें बनेंगी जो कम प्रदूषण फैलाएंगी और इमारतों को ज़्यादा टिकाऊ बनाएंगी.
ये कैसे हो सकता है?
- नए फंड और कार्यक्रम: सरकार को भवन निर्माण के क्षेत्र में खास तौर पर रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए नए फंड और कार्यक्रम शुरू करने चाहिए. इससे वैज्ञानिकों और बिल्डरों को नई चीज़ें बनाने के लिए ज़रूरी पैसा और सपोर्ट मिलेगा.
- ऊर्जा-बचत तकनीकें: रिसर्च का फोकस ऊर्जा-बचत तकनीकें बनाने पर होना चाहिए. ऐसी इमारतें चाहिए जो कम बिजली और पानी का इस्तेमाल करें. इससे पर्यावरण और हमारे पैसे दोनों की बचत होगी!
- नए निर्माण सामग्री: रिसर्च में नई और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री बनाने पर भी ज़ोर दिया जाना चाहिए. ऐसी चीज़ें जो कम संसाधनों का इस्तेमाल करें और लंबे समय तक टिकें, जिससे बार-बार इमारतें बनाने की ज़रूरत न पड़े.
- ग्लोबल हाउसिंग तक: ये सरकार की एक अच्छी पहल है, इसमें ज़्यादा पैसा लगाया जाना चाहिए. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय तकनीक का इस्तेमाल होगा और पर्यावरण की रक्षा का संदेश फैलेगा.
ये कुछ तरीके हैं जिनसे सरकार बजट में आर एंड डी पर ज़ोर देकर भवन निर्माण क्षेत्र को सुधार सकती है. हम सब मिलकर सरकार से मांग करें कि वो पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों के विकास में पैसा लगाए और बेहतर भविष्य बनाए!
इमारतें बनाने का खर्च कम करें, GST भी घटाएं!
सरकार आने वाले बजट में भवन निर्माण को आसान और सस्ता बनाने के लिए कुछ ज़रूरी कदम उठा सकती है. इसमें सबसे अहम है कुछ इमारती सामग्री पर लगने वाले GST को कम करना.
आपको पता ही होगा कि अभी भी कई ज़रूरी चीज़ों पर 28% GST लगता है, जैसे सीमेंट. ये काफी ज़्यादा है और भवन निर्माण का खर्च बढ़ा देता है. इसीलिए, हम मांग करते हैं कि सरकार ऐसे ज़रूरी सामानों पर GST घटाए, जिससे:
- सस्ती इमारतें: GST कम होने से निर्माण का खर्च कम होगा. इससे लोगों को ज़्यादा सस्ते में घर और दुकान बनाने का मौका मिलेगा.
- उद्योग को बढ़ावा: निर्माण क्षेत्र में ज़्यादा रोज़गार पैदा होंगे. लोगों के सस्ते घर बनेंगे तो ज़्यादा मांग होगी और भवन उद्योग बढ़ेगा.
- हर किसी के लिए घर: देश में ज़्यादा affordable housing बन पाएंगे. ये खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होगा.
सरकार ने पहले भी कुछ इमारती सामग्री पर GST कम किया है, ये एक अच्छा कदम था. उम्मीद है कि आने वाले बजट में भी सरकार ज़रूरी सामग्री पर GST घटाए और सभी के लिए इमारतें बनाने को आसान बनाए!
सपनों का घर पाना बने आसान, बजट में करें ब्याज और GST में कटौती!
हर किसी का सपना होता है अपना खुद का घर. लेकिन मंहगे लोन और ज़्यादा GST की वजह से ये सपना पूरा करना मुश्किल हो जाता है. इसीलिए, आने वाले बजट में सरकार को दो ज़रूरी कदम उठाने चाहिए:
- लोन का ब्याज घटाएं: सरकार घर के लोन (खासकर ग्रीन होम्स के लिए) पर ब्याज कम करे. इससे लोन की किस्त कम हो जाएगी और लोगों को सस्ता घर मिल सकेगा. इससे न सिर्फ “सबके लिए घर” का सपना पूरा होगा, बल्कि ज़्यादा लोग घर लेने आएंगे, जिससे निर्माण क्षेत्र में ज़्यादा रोज़गार पैदा होंगे.
- GST कम करें: घर बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली ज़रूरी चीज़ों पर GST की दर घटाएं, जैसे सीमेंट या ईंट. इससे निर्माण का खर्च कम होगा और सस्ते घर बन पाएंगे.
ये दोनों कदम न सिर्फ लोगों का सपना पूरा करेंगे, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा करेंगे! ग्रीन होम्स पर ब्याज कम करने से ज़्यादा लोग ऐसे पर्यावरण-अनुकूल घर चुनेंगे और सरकार के “हरित” मिशन में मदद मिलेगी.
तो आइए सब मिलकर सरकार से मांग करें कि वो आने वाले बजट में लोन का ब्याज और GST कम करे, ताकि हर किसी का सपना – अपना खुद का घर – आसानी से पूरा हो सके!