हर साल 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं! ये वो खास दिन है जब 1950 में भारत ने अपना संविधान लागू किया और एक गणतंत्र राष्ट्र बना। इसका मतलब ये है कि हमारे देश के नियम-कानून एक पवित्र किताब यानी संविधान में लिखे गए, और हम किसी राजा के अधीन नहीं, बल्कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के साथ मिलकर देश चलाते हैं!

भारत 26 जनवरी 2024 को अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने के लिए तैयार है! ये एक बहुत खास मौका है, ना सिर्फ हमारे देश के इतिहास में, बल्कि इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों भी समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में आ रहे हैं।
ये छठी बार है जब फ्रांस के किसी नेता ने गणतंत्र दिवस में शिरकत की है, जो भारत और फ्रांस के मजबूत रिश्तों को दर्शाता है। राजपथ, जिसे अब कर्तव्य पथ कहा जाता है, वहां होने वाला भव्य परेड गणतंत्र दिवस का मुख्य आकर्षण है। इस परेड में देश की सैन्य शक्ति का शानदार प्रदर्शन होता है। तीनों सेनाओं के जवान, अत्याधुनिक हथियारों का नज़ारा और बाइक स्टंट टीमों के रोमांचक करतब देखने को मिलेंगे।

गणतंत्र दिवस परेड सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि ये भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को भी ज़िंदा करता है। हर राज्य खुद का खास झांकी पेश करता है, जो उनके अनोखे तौर-तरीकों, परंपराओं और उपलब्धियों को खूबसूरती से दर्शाता है। ये झांकियां ज़िंदादिल लोक संगीत और नृत्य के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
इस साल का परेड और खास होने वाला है, क्योंकि इसमें पहली बार फ्रांस की सेना भी शामिल होगी! भारतीय जवानों के साथ कदम मिलाकर चलते फ्रांसीसी सैनिक दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग को दर्शाएंगे। इस खास नज़ारे से समारोह में भाईचारे और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का माहौल बनने की उम्मीद है।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है, जब हम अंग्रेज़ों से आज़ाद हुए थे। लेकिन 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, जो हमारे देश की आत्मा-संविधान के जन्म का जश्न है!

15 अगस्त को हमारी जन्मदिन की तरह है, तो 26 जनवरी को हम अपने देश के “राजनीतिक जन्मदिन” का जश्न मनाते हैं। इसी दिन 1950 में हमारा संविधान लागू हुआ, जिसने हमें बुनियादी अधिकार, कर्तव्य और एक न्यायिक व्यवस्था दी। संविधान ने ही हमें ये तय करने का हक दिया कि हमारे ऊपर कौन शासन करेगा और कैसे करेगा।
अंग्रेजों से आज़ादी मिलने के बाद 1947 में हमारे देश के लिए सबसे बड़ा काम था अपना संविधान बनाना। ये बड़ा ही ज़िम्मेदारी वाला काम था और इस ज़िम्मेदारी को डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अगुवाई में एक खास टीम ने निभाया.
दो साल से ज़्यादा समय लगा, तमाम बहसें हुईं, और आखिरकार 24 जनवरी 1950 को हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ। ये कोई साधारण किताब नहीं थी, ये तो नवगठित भारत की रूह ही थी। इस संविधान ने एक लोकतांत्रिक, बराबरी के हक वाले और न्यायपूर्ण समाज की नींव रखी।

दो दिन बाद, 26 जनवरी 1950 को, ये संविधान लागू हुआ और इसी के साथ भारत एक पूर्ण गणतंत्र राष्ट्र बन गया। अब ब्रिटिश हुकूमत का बनाया “गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ऐक्ट” (1935) खत्म हो गया और देश को चलाने के लिए हमारे पास अपना पवित्र ग्रंथ-संविधान-था।