Business : भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन (EFTA) ने रविवार को एक व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किए।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को भारत और EFTA देशों के बीच संबंधों में एक “निर्णायक मोड़” बताया। उन्होंने कहा कि यह समझौता खुले, निष्पक्ष और समान व्यापार के लिए दोनों पक्षों की साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
EFTA में कौन-से देश शामिल हैं?
यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन (EFTA) एक व्यापार संगठन और मुक्त व्यापार क्षेत्र है जिसमें चार यूरोपीय देश शामिल हैं – आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड।
समझौते की मुख्य बातें क्या हैं?
EFTA ने अगले 15 वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के स्टॉक को 100 बिलियन अमरीकी डॉलर तक बढ़ाने के लिए निवेश को बढ़ावा देने और ऐसे निवेशों के माध्यम से भारत में 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को क्यों महत्वपूर्ण बताया?
प्रधान मंत्री मोदी ने इस समझौते को एक “अत्याधुनिक और संतुलित” व्यापार करार बताया जो दोनों पक्षों की विकासात्मक आकांक्षाओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत और EFTA देशों के बीच व्यापार और निवेश के भारी अवसर खोलेगा।
यह समझौता भारत के लिए कैसे फायदेमंद होगा?
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले 10 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में “काफी तेजी से विकास” हुआ है और यह समझौता इस विकास को और गति देगा। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है।
EFTA देशों के साथ सहयोग के नए द्वार खुलेंगे
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि EFTA देशों के वैश्विक नेतृत्व से डिजिटल व्यापार, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं, परिवहन और रसद, औद्योगिक मशीनरी, जैव प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में नए सहयोग के द्वार खुलेंगे।
यह समझौता भारत और EFTA देशों के लिए एक नया अध्याय शुरू करेगा
प्रधान मंत्री मोदी ने विश्वास दिलाया कि भारत EFTA देशों को हर संभव समर्थन देगा और उद्योग और व्यवसायों को न केवल लक्ष्य हासिल करने में बल्कि उन्हें पार करने में भी मदद करेगा।