भारत अपनी trade policy में एक बड़ा बदलाव कर रहा है। पहले भारत मुख्य रूप से विकासशील देशों के साथ क्षेत्रीय व्यापार समझौते (आरटीए) करता था, लेकिन अब वह विकसित देशों के साथ व्यापार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह बदलाव भारत को वैश्विक व्यापार में एक मजबूत स्थिति बनाने में मदद करेगा।
आराम का दायरा बढ़ाना
यह बदलाव थॉमस कुह्न के प्रतिमान बदलाव के सिद्धांत जैसा है। इस सिद्धांत के अनुसार किसी क्षेत्र में मौलिक विचारों में क्रांतिकारी परिवर्तन होते रहते हैं। भारत का व्यापार नीति में बदलाव भी ऐसा ही एक क्रांतिकारी कदम है।
TRADE : विकसित देशों के साथ करार
पहले भारत मुख्य रूप से दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर ध्यान देता था। अब भारत विकसित देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए उनके साथ आरटीए कर रहा है। इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं को इन देशों की बाजारों में बेहतर पहुँच मिलेगी और भारत की आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
EFTA के साथ समझौता
हाल ही में भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (टीईपीए) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से भारत को अगले 15 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर का निवेश और 10 लाख नए रोजगार पैदा होने की उम्मीद है।
चीन का विकल्प बनने की रणनीति
यह बदलाव भारत की चीन का विकल्प बनने की रणनीति का भी हिस्सा है। भारत चाहता है कि विदेशी कंपनियां जो चीन से बाहर निवेश करना चाहती हैं, वे भारत को चुनें।
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वियतनाम की तुलना में भारत की रणनीति
भारत की यह रणनीति वियतनाम से अलग है। वियतनाम ने ज्यादातर विकसित देशों के साथ ही आरटीए किए हैं। इससे वियतनाम को बड़े बाजारों और नई तकनीक तक पहुंच मिली है।
2020 के बाद का बदलाव
2020 से पहले भारत ज्यादातर विकासशील देशों के साथ ही आरटीए करता था। लेकिन अब भारत ने ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे विकसित देशों के साथ भी आरटीए किए हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ भी वार्ता चल रही है।
विकासशील देशों को फायदा
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत बताते हैं कि विकासशील देशों को विकसित देशों के साथ किए गए व्यापार समझौतों से ज्यादा फायदा होता है। इससे विकासशील देशों में विदेशी निवेश बढ़ता है, आर्थिक विकास में तेजी आती है और गरीबी कम होती है।
अंत में
भारत की नई व्यापार नीति व्यापार घाटे को कम करने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है। इस नीति से भारत को वैश्विक व्यापार में एक मजबूत स्थिति बनाने में मदद मिलेगी।