सरकारी बैंकों का बेहतर प्रदर्शन और घटते NPA के बाद फिर शुरू हुई निजीकरण की चर्चा, नए पैनल से बनेगी प्रत्याशियों की लिस्ट
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंकों ने अच्छा प्रदर्शन करने के साथ-साथ खराब लोन में भी कमी की है। ऐसे में फिर से कई बैंकों के निजीकरण को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। बता दें कि RBI और NITI Aayog मिलकर बनाएंगे प्रत्याशियों की लिस्ट…
वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिनिधियों द्वारा सरकारी बैंकों की सूची की समीक्षा किए जाने की योजना है। लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, निजीकरण के लिए उम्मीदवारों की एक नई सूची तैयार करने के लिए वित्त मंत्रालय, NITI Aayog और भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ एक नए पैनल पर विचार किया जा रहा है। NITI Aayog ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की सिफारिश की है और उसके सुझाव भी वित्त मंत्रालय के सामने रखे गए हैं। ये दो बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक बताए जा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दो बैंकों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में चर्चा की थी। इसके साथ ही IDBI बैंक और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की भी घोषणा की गई थी। हालांकि, कुछ कारणों से यह योजना रुक गई थी और अब 2024 के मद्देनजर इसके अभ्यास के फिर से शुरू होने की उम्मीद है।
मध्यम और छोटे आकार के बैंकों के निजीकरण के लिए केंद्र सरकार एक पैनल पर विचार कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, पैनल यह भी तय कर सकता है कि सरकार बैंकों में कितनी हिस्सेदारी कम करेगी। इसके अलावा, बेहतर वित्तीय मानकों वाले बैंकों और खराब ऋणों को कम करने को दिए जाने वाले वेटेज पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
प्रस्तावित निजीकरण प्रक्रिया से पहले, सरकार ने छोटे बैंकों को मजबूत बनाने के लिए कमजोर बैंकों का विलय बड़े बैंकों में किया है। 1 अप्रैल 2020 से कुल 10 सरकारी बैंकों का विलय किया गया था। भारत में इस समय 12 सरकारी बैंक हैं, जबकि 2017 में इनकी संख्या 27 थी।
अब ये 12 PSB बैंक हैं:
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, पंजाब और सिंध बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं।