खगोलविज्ञानियों ने एक रोमांचक खोज की है – उन्होंने पहली बार दो क्षुद्रग्रहों, आइरिस और मस्सालिया की सतह पर पानी के अणु पाए हैं। यह खोज हमारे सौरमंडल में पानी के वितरण के बारे में नई जानकारियां देती है और यह समझने में मदद करेगी कि पृथ्वी पर पानी कैसे आया।
यह खोज अमेरिका और जर्मनी के सहयोग से संचालित स्ट्रेटोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (SOFIA) से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है। इस शोध का प्रकाशन “द प्लैनेटरी साइंस जर्नल” में हुआ है।
अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता और क्षुद्रग्रहों की विशेषज्ञ अनिसिया अरेडोन्डो ने कहा, “हमने क्षुद्रग्रहों पर आणविक पानी की स्पष्ट पहचान की है।” उन्होंने खोज के बारे में सोशल मीडिया पर भी जानकारी साझा की।
आइरिस और मस्सालिया दोनों ही सिलिकेट से भरपूर हैं। खगोल विज्ञान की वेबसाइट astronomy.com के अनुसार, पानी के अणु टकराहट से बने सिलिकेट ग्लास में फंसे पाए गए या क्षुद्रग्रह पर मौजूद अन्य खनिजों से रासायनिक रूप से जुड़े हुए हैं।
यह खोज यह समझने में मदद करेगी कि पृथ्वी पर पानी कैसे पहुंचा। इससे पहले SOFIA का इस्तेमाल करके चंद्रमा के दक्षिणी भाग में पानी का पता लगाया गया था।
सुश्री अरेडोन्डो और उनकी टीम ने चार क्षुद्रग्रहों – पार्टेनोप और मेलपोमीने सहित – का अध्ययन किया। इनमें से तीन क्षुद्रग्रहों ने 3 माइक्रोमीटर की तरंगदैर्ध्य पर अवशोषण दिखाया, लेकिन आइरिस और मस्सालिया ने 6 माइक्रोमीटर पर भी अवशोषण दिखाया, जो केवल पानी का ही संकेत है।
यह पहली बार है जब किसी क्षुद्रग्रह की सतह पर पानी के अणु पाए गए हैं। सुश्री अरेडोन्डो ने कहा, “हमारा शोध उस टीम की सफलता पर आधारित है जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी का पता लगाया था। हमने सोचा कि हम इस स्पेक्ट्रल हस्ताक्षर को अन्य पिंडों पर खोजने के लिए SOFIA का उपयोग कर सकते हैं।”
आइरिस (199 किमी व्यास) और मस्सालिया (135 किमी व्यास) की कक्षाएं समान हैं, जो सूर्य से औसतन 2.39 खगोलीय इकाई (AU) की दूरी पर घूमती हैं।