पानी में मौजूद MICRO PLASTIC हमें कैसे प्रभावित करते हैं?
प्लास्टिक का कचरा एक गंभीर समस्या है और MICRO PLASTIC उसे और भी खतरनाक बना देते हैं. ये सूक्ष्म प्लास्टिक के टुकड़े इतने छोटे होते हैं कि हमारी आंखों से भी नहीं देखे जा सकते. ये नदियों, नालों और समुद्रों में मिलने के बाद पीने के पानी में भी घुलमिल जाते हैं. इन्हें पीने से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
एक नई आशा: आईआईएससी द्वारा विकसित हाइड्रोजेल
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों ने पानी से माइक्रोप्लास्टिक को हटाने के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है. उन्होंने एक विशेष हाइड्रोgel बनाया है जो पानी से माइक्रोप्लास्टिक को सोख (adsorb) सकता है और फिर UV किरणों की मदद से उन्हें नष्ट (degrade) कर सकता है.
यह हाइड्रोजेल कैसे काम करता है?
यह हाइड्रोजेल तीन तरह के पॉलिमरों – किटोसान, पॉलीविनाइल अल्कोहल और पॉलीएनिलिन – से मिलकर बना है. इन पॉलिमरों को एक विशेष तरीके से जोड़ा जाता है ताकि ये मजबूत जाल बना सकें. इस जाल में कॉपर सबस्टीट्यूट पॉलीऑक्सोमेटलेट (Cu-POM) नामक तत्व के नैनोक्लस्टर भी डाले जाते हैं. ये नैनोक्लस्टर उत्प्रेरक (catalyst) की तरह काम करते हैं, यानी ये UV किरणों की उपस्थिति में माइक्रोप्लास्टिक को तोड़ने की प्रक्रिया को तेज करते हैं.
अध्ययन के परिणाम बहुत उत्साहजनक
अध्ययन में पाया गया कि यह हाइड्रोgel पानी में मौजूद 95% तक माइक्रोप्लास्टिक को हटा सकता है. इतना ही नहीं, हाइड्रोgel के खराब हो जाने के बाद भी इसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इसे कार्बन नैनोमटेरियल में बदला जा सकता है, जिसका उपयोग प्रदूषित पानी से भारी धातुओं को हटाने के लिए किया जा सकता है.
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भविष्य की योजनाएं
अब वैज्ञानिक इस हाइड्रोgel का उपयोग करके बड़े पैमाने पर पानी की सफाई करने के लिए एक उपकरण बनाने की योजना बना रहे हैं. यह आविष्कार MICRO PLASTIC प्रदूषण की समस्या से निपटने में मील का पत्थर साबित हो सकता है.