IND TRADE ARMENIA :
मुख्य बिन्दु:
- लाल सागर में व्यावसायिक जहाजों पर हाउती हमलों के कारण भारत के लिए वैकल्पिक मार्ग की तलाश।
- अर्मीनिया ने भारत को यूरोप के साथ व्यापार के लिए वैकल्पिक समुद्री मार्ग की पेशकश की।
- दोनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक परियोजनाओं में सहयोग के लिए प्रतिबद्ध।
- अर्मीनिया ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) में सहयोग का भी प्रस्ताव रखा।
हाल ही में लाल सागर में व्यावसायिक जहाजों पर हाउती हमलों के मद्देनजर, भारत वैकल्पिक समुद्री व्यापार मार्गों की तलाश कर रहा है। इसी बीच, अर्मीनिया ने भारत को यूरोप के साथ व्यापार के लिए एक वैकल्पिक समुद्री मार्ग की पेशकश की है।
नई दिल्ली में हुए नौवें रायसीना डायलॉग के दौरान अर्मीनिया के श्रम और सामाजिक मामलों के मंत्री नरेक म्कर्चटायन ने यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि “अर्मीनिया भारत को यूरोप, विशेष रूप से के साथ व्यापार के लिए एक रणनीतिक स्थिति का प्रस्ताव करता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि अर्मीनिया क्षेत्रीय और वैश्विक परियोजनाओं में भारत के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी), खाड़ी काला सागर परिवहन, पारगमन गलियारा और भारत-ईरान के सहयोग से चाबहार बंदर विकास शामिल है।
इसके अतिरिक्त, मंत्री म्कर्चटायन ने भारत के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में सहयोग का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों देश एक वैश्विक गठबंधन के माध्यम से परामर्श कर सकते हैं और एआई में निवेश को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य देखभाल, कृषि और पर्यावरण संरक्षण योजना जैसे क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए सामाजिक भलाई के लिए एआई पर सहयोग करने की क्षमता है। हम समाधान और शोध के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए एक वैश्विक एआई नवाचार मंच भी स्थापित कर सकते हैं।”
गौरतलबल है कि भारत और अर्मीनिया के बीच द्विपक्षीय वार्ता विदेश कार्यालय परामर्श और व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी, सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग के माध्यम से आयोजित की जाती है।
नौवें रायसीना डायलॉग का उद्घाटन 23 फरवरी को हुआ था और इसका समापन 23 फरवरी को ही हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन विदेश मंत्रालय द्वारा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ), जो एक थिंक टैंक है, के सहयोग से किया जाता है।
इस वर्ष 100 से अधिक देशों के मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों, वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग, प्रौद्योगिकी, वित्त और अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।