EV : पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को तेजी से बढ़ावा दे रही है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार वाहन निर्माताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
हालांकि, थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के घरेलू मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने की इस कोशिश से चीनी वाहन निर्माताओं की भारतीय घरेलू बाजार में बड़े पैमाने पर एंट्री हो सकती है।
चीन का ऑटोमोबाइल उद्योग इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक में तेजी से विकसित हुआ है।
चीन ईवी और संबंधित कंपोनेंट्स (घटकों) का एक प्रमुख निर्यातक बन गया है।
भारत को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण का केंद्र बनाने के लिए चीन से आयात किए जाने वाले व्हीकल कंपोनेंट्स (वाहन घटकों) पर निर्भरता में तेजी से इजाफा होगा।
2022-23 में भारत का वाहन घटक आयात 20.3 अरब डॉलर था और इसमें से लगभग 30 प्रतिशत चीन से आया था।
दुनिया की बैटरी उत्पादन क्षमता का 75 प्रतिशत चीन के पास है।
वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन और दुनिया भर के बाजारों में निर्यात में चीन की का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है।
अगले कुछ वर्षों में, भारतीय सड़कों पर चलने वाले हर तीसरे इलेक्ट्रिक वाहन और कई यात्री और वाणिज्यिक वाहन चीनी ऑटो कंपनियों द्वारा बनाए हुए हो सकते हैं।
भारतीय बाजार में एंट्री चीनी कंपनियों को यूरोपीय संघ और अमेरिका में निर्यात में गिरावट के कारण राहत प्रदान कर सकता है।
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इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनने की रणनीति बनानी होगी, ताकि चीनी कंपनियों पर निर्भरता कम हो सके। इसके लिए सरकार को घरेलू वाहन निर्माताओं को प्रोत्साहन देना होगा और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास के लिए अनुकूल नीतियां बनानी होंगी।