राम का वनवास
राम, सीता और लक्ष्मण को अपने पिता दशरथ के द्वारा 14 वर्ष के वनवास पर भेजा गया था। उन्होंने अपने वनवास का अधिकांश समय मध्य भारत के घने जंगलों में बिताया।
अपने वनवास के दौरान, राम और सीता ने निम्नलिखित स्थानों पर निवास किया:
- तमसा नदी: अपने वनवास की शुरुआत में, राम, सीता और लक्ष्मण तमसा नदी के किनारे पहुंचे। यहां, उन्होंने केवट नामक एक निषाद से गंगा नदी पार करने में मदद मांगी।
श्रृंगवेरपुर: तमसा नदी को पार करने के बाद, राम, सीता और लक्ष्मण श्रृंगवेरपुर पहुंचे। यह निषादराज गुह का राज्य था। यहां, राम ने शूर्पणखा से मुलाकात की, जो रावण की बहन थी। शूर्पणखा ने राम को अपना पति बनाने की कोशिश की, लेकिन राम ने उसे अस्वीकार कर दिया।
- दंडकारण्य: श्रृंगवेरपुर से, राम, सीता और लक्ष्मण दंडकारण्य के जंगलों में चले गए। यहां, उन्होंने कई ऋषि-मुनियों के आश्रमों में निवास किया। वे कई राक्षसों से भी लड़े, जिनमें मारीच, खर और दूषण शामिल थे।
- पर्णशाला: दंडकारण्य में, राम, सीता और लक्ष्मण ने पर्णशाला नामक एक छोटी सी झोपड़ी में निवास किया। यहीं पर रावण ने सीता का अपहरण किया था।
- लंका: सीता का अपहरण करने के बाद, राम ने रावण से लड़ने के लिए लंका की यात्रा की। उन्होंने रावण को मार दिया और सीता को मुक्त कराया।